'महाशिवरात्रिक्यों मनाई जाती है'
महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पावन स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन को आध्यात्मिक जागरण, उपवास और ध्यान के रूप में विशेष रूप से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि को लेकर अनेक पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं।
भगवान शिव और पार्वती का विवाह
एक प्रमुख कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। इस शुभ दिन को श्रद्धालु भक्तगण रात्रि जागरण, उपासना, और भजन-कीर्तन के साथ मनाते हैं।
सागर मंथन और हलाहल पान
एक अन्य कथा के अनुसार, सागर मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तब समस्त देवगण और दानव भयभीत हो गए। तब भगवान शंकर ने समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। इस घटना की स्मृति में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि और महत्व
महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें?
महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा विशेष विधि-विधान से करते हैं। इस दिन व्रत, उपवास और भक्ति का विशेष महत्व होता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
स्नान और शुद्धि – प्रातःकाल उठकर गंगा जल या किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करें।
शिवलिंग का अभिषेक – दूध, दही, शहद, घी, और गंगा जल से अभिषेक करें।
बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें – भगवान शिव को विशेष रूप से बेलपत्र, धतूरा, और भांग प्रिय हैं।
धूप और दीप जलाएं – शिवलिंग के समक्ष धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन – इस दिन रात्रि जागरण कर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
महाशिवरात्रि व्रत के लाभ
महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
आध्यात्मिक उन्नति – इस दिन व्रत करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
सुख-समृद्धि – भगवान शिव की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
पापों का नाश – यह व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
मोक्ष की प्राप्ति – महाशिवरात्रि का उपवास और ध्यान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि का ज्योतिषीय महत्व
महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है, जो चंद्रमा की स्थिति और ग्रहों के अनुसार अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह समय विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए उपयुक्त माना जाता है।
राशि अनुसार महाशिवरात्रि के उपाय
महाशिवरात्रि के दिन राशि अनुसार विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है:
मेष राशि – लाल चंदन और रुद्राक्ष शिवलिंग पर अर्पित करें।
वृषभ राशि – दूध और शहद से अभिषेक करें।
मिथुन राशि – हरी दूर्वा और बेलपत्र चढ़ाएं।
कर्क राशि – दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें।
सिंह राशि – तांबे के पात्र में जल अर्पित करें।
कन्या राशि – गंगा जल और तुलसी पत्ते चढ़ाएं।
महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें?
क्या करें?
व्रत रखें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए ध्यान करें।
क्या न करें?
किसी भी प्रकार का मांसाहार या नशा न करें।
झूठ और गलत कार्यों से बचें।
शिवलिंग पर तुलसी पत्र अर्पित न करें।
अपवित्र स्थानों पर न जाएं।
महाशिवरात्रि कब है? (When is Mahashivratri 2025?)
हर साल महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
➡ 2025 में महाशिवरात्रि कब है?
📅 तारीख: 26 फरवरी 2025 (बुधवार)
🕒 निशीथ काल पूजा मुहूर्त: रात 12:00 – 12:45 (स्थानीय पंचांग के अनुसार)
🥛 व्रत पारण समय: 27 फरवरी को सुबह
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और शिव की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। इस दिन भगवान शिव की भक्ति करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति, और समृद्धि आती है। जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास से इस पर्व को मनाते हैं, वे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करते हैं।

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